Hindi mein poem

वो हिमालय बन बैठे | Hindi mein Poem

वो हिमालय बन बैठे

( Wo himalaya ban baithe )

 

 

वो गुणी विद्वान हुये सब व्यस्त हो गए।
हम बालक नादान थे बड़े मस्त हो गए।

 

बड़ी ऊंची चीज वो उड़ते आसमानों में।
हम मुकाबला करते आंधी तूफानों से।

 

सात पीढ़ियों का जुगाड़ वो करते चले गए।
प्यार के मोती से झोली हम भरते चले गए।

 

भीड़ का आकर्षण सुंदर उनको लुभाता रहा।
गीतों का तराना प्यारा मैं भाव गुनगुनाता रहा।

 

वो मशीन से हो चले दिल का कहां ठिकाना था।
भाव भरी बहती गंगा दिलों से होकर जाना था।

 

वो हिमालय बन बैठे टस से मस ना हो जाना था।
तटबंधों को सागर की लहरों के थपेड़े खाना था।

?

कवि : रमाकांत सोनी सुदर्शन

नवलगढ़ जिला झुंझुनू

( राजस्थान )

यह भी पढ़ें :-

गजानंद | Chhand Gajanand

Similar Posts

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *