Hindi Poem on Purush
Hindi Poem on Purush

पुरुष

( Purush ) 

 

इनके आंखों में होती नहीं नमी

पर जज्बातों की होती नहीं कमी

 

फिक्र रहती है इन्हें हमारी सदा

प्यार जताते हैं हम पर यदा-कदा

 

गुस्सा क्रोध ,नाराजगी ,इनका अस्त्र है

बिटिया, बेटा, सुनो जरा, इनका सस्त्र हैl

 

दिनभर दौड़ते हैं कभी रुकते नहीं

काम करते-करते यह थकते नहीं

 

इनकी रहते हमें कोई चिंता नहीं

घर की हर व्यवस्था में कोई कमी नहीं

 

खुद को कुछ हो जाए तो बताते नहीं

हमें कुछ हो जाए बिन दिखाएं राहत पाते नहीं

 

इनके पास किसी की  बुराई नहीं

होते हैं मिलनसार व्यक्तित्व के धनी

 

दिन भर काम से यह थकते  नहीं

तुम आराम से सो जाओ मैं हूं ना यही

 

बच्चे बडो सब की जिम्मेदारी उठाते हैं

अपनी ख्वाहिशों को  जिंदगी भर दबाते हैंl

 

 पिता बेटे के फर्ज लोन के कर्ज में

 हंसते हुए गुजार देते हैं सारी जिंदगी

 

 बेशक पुरुष को जन्म देती  एक औरत है

  पर इनके साये मे, महफूज रहती है औरत

 

डॉ प्रीति सुरेंद्र सिंह परमार
टीकमगढ़ ( मध्य प्रदेश )

यह भी पढ़ें :-

बुंदेलखंड का केदारनाथ | Kavita Bundelkhand ka Kedarnath

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here