Hindi Poetry of Gurudeen Verma | गुरुदीन वर्मा की कविताएं

मेघों की तुम मेघा रानी

शेर)- जैसे जल को तरसे मछली, वैसे मेघ को तरसे धरती।
मेघ बिना नहीं मिलता पानी, मेघ बिना यह बंजर धरती।।
——————————————————-
मेघों की तुम मेघा रानी, मेघ तुम बरसाओ।
करके वर्षा मेघों की, धरती की प्यास मिटाओ।।
मेघों की तुम मेघा रानी———————–।।

किसको जरूरत नहीं जल की, यह जल भी मिलता है तुमसे।
तुम ही करती यह हरियाली, ताल- तलैया भी भरते हैं तुमसे।।
खाली नंदियाँ और सागर, जल से तुम भर जावो।
करके वर्षा मेघों की, धरती की प्यास मिटाओ।।
मेघों की तुम मेघा रानी———————–।।

नाचे मोर- पपैया और गाये, आवो आवो मेघा तुम।
तपती धरती कर दो शीतल, खूब बरसकर मेघा तुम।।
बंजर भूमि- उपवन- फसलों को, आकर हर्षाओ।
करके वर्षा मेघों की, धरती की प्यास मिटाओ।।
मेघों की तुम मेघा रानी———————–।।

पूजा- प्रार्थना तुम्हारे लिए, हर कोई कर रहा है।
तुमको रिझाने को राग मल्हार, यह जग गा रहा है।।
सावन- भादो तुम पुकारे, मेघा आवो आवो।
करके वर्षा मेघों की, धरती की प्यास मिटाओ।।
मेघों की तुम मेघा रानी———————–।।

कपड़ों की तरहां मैं, दिलदार बदलता हूँ

कपड़ों की तरहां मैं, दिलदार बदलता हूँ।
मुकाम बदलता हूँ , मैं प्यार बदलता हूँ।।
कपड़ों की तरहां मैं———————।।

हसीन मुखड़ें जो यहाँ, महफ़िल में हैं।
वफ़ा नहीं ये किसी से, बेवफ़ा दिल हैं।।
करके झूठी मोहब्बत, दर्द दे जाते हैं।
कम नहीं है बेशर्म ये, दिल तोड़ जाते हैं।।
मानकर दिल का खिलौना, मैं इनसे खेलता हूँ।
कपड़ों की तरहां मैं———————।।

शौकीन हैं इनके दिल, दौलत और महलों के।
हजार हैं इनके सनम, इन हुर्रों और गुलों के।।
रात ये बनाते हैं रंगीन, शबाब और शराब से।
फैंक देते हैं आशिक को, जैसे हड्डी कबाब से।।
लबों का जाम समझकै, मैं भी इनको पीता हूँ।
कपड़ों की तरहां मैं———————।।

मैंने देखा है इनको, नकाब बदलते हुए।
हर रात इनको, अपनी सेज बदलते हुए।।
पापी मैं ही क्यों, बदकाम ये भी करते हैं।
पल में अपनी जुबां, रंग ये भी बदलते हैं।।
मौज मस्ती के लिए, रोज नया शिकार करता हूँ।
कपड़ों की तरहां मैं———————।।

तू डरकर इस समाज से

तू डरकर इस समाज से,
इसके बनावटी नियमों और नीतियों से,
डरकर इसकी झूठी शान और मर्यादा से,
डूबकर शर्म के गर्त में तुम,
मत बनाना अपनी जिंदगी को दोज़ख।

मैं जानता हूँ इस समाज को,
एक समय था,
जब मैं इसको प्यारा था,
मैं इसकी आँखों का तारा था,
क्योंकि उस वक़्त मैं आबाद था,
और करता था मेरी मदद यह समाज।

लेकिन अब मैं बेरोजगार हूँ ,
और कहा नहीं मुझसे समाज ने,
कि मत करना तू कोई फिक्र,
कि नहीं है यहाँ अकेला जहां में।

हाँ, बहुत दगाबाज है यह समाज,
इसकी व्यंग्यात्मक शैली से,
मत करना खुद को निराश तू ,
इसके शीशे को देखकर,
मत खुद को गुमराह करना।

जो कुछ करना है तुम्हें ही करना है,
अपना सहारा खुद तू है,
मत बुझाना अपनी जिंदगी के चिराग,
कभी होकर हताश और उदास,
तू डरकर इस समाज से।

फिर भी यह मेरी दुहा है

फिर भी यह मेरी दुहा है, चाहे नफरत मुझसे करो।
आबाद हमेशा तुम रहो, चाहे मुझे प्यार मत करो।।
फिर भी यह मेरी दुहा है———————।।

हमको क्या मालूम नहीं कि, तुम नहीं चाहते हमको।
मालूम है तुमको भी यह कि, कितना चाहते हैं तुमको।।
तुमको मिले हर खुशी, चाहे मुझे याद तुम मत करो।
फिर भी यह मेरी दुहा है——————-।।

मेरी इस मोहब्बत को, नहीं तुम एक समझो दिखावा।
दिल ने तुम्हें ही चाहा है, इसको नहीं तुम कहो छलावा।।
रोशन तुम्हारे ख्वाब रहें, चाहे बददुहायें तुम हाँ करो।।
फिर भी यह मेरी दुहा है———————।।

तुमको मोहब्बत हमारी जैसी, दे सकेगा क्या कोई।
तुमको इज्जत हमारी जैसी, दे सकेगा क्या कोई।।
महका रहे दामन तुम्हारा, चाहे बदनाम हमें तुम करो।
फिर भी यह मेरी दुहा है———————।।

जैसी बदनामी तूने मेरी की

जैसी बदनामी तूने मेरी की, मत करना और किसी की।
मत करना तू बर्बादी ऐसी, जिंदगी में और किसी की।।
जैसी बदनामी तूने मेरी की———————।।

मुझपे इल्जाम तुमने, यह क्यों लगाया।
क्यों पहले दिल मुझसे, तुमने लगाया।।
मत करना तू ऐसी बुराई, भूलकर भी और किसी की।
जैसी बदनामी तूने मेरी की——————–।।

जैसे मुझपे विश्वास तुमने, किया नहीं अभी तक।
जैसे मुझपे सितम तुमने, किये हैं अभी तक।।
मत करना ऐसी बेख्याली, भूलकर भी और किसी की।
जैसी बदनामी तूने मेरी की———————।।

अभी क्या देखी है तुमने, दुनिया की हकीकत।
इसकी बेवफाई- मोहब्बत, इसकी बगावत।।
मत करना तू ऐसी खिलाफत, जिंदगी में और किसी की।
जैसी बदनामी तूने मेरी की———————–।।

क्यों याद तुमको हम कल करेंगे

क्यों याद तुमको हम कल करेंगे।
तुमने हमको ऐसा क्या दिया है।।
क्यों खत तुमको हम कल लिखेंगे।
तुमने हमें कभी क्या प्यार दिया है।।
क्यों याद हमको———————-।।

मोहब्बत के बदले नफरत तुमने की है।
बहुत बेवफ़ाई हमसे तुमने की है।।
दुश्मन भी ऐसा नहीं कर सकेगा।
सितम वह तुमने हमपे किया है।।
क्यों याद हमको————-।।

विश्वास तुमने उन पर किया है।
बदनाम तुमको जिन्होंने किया है।।
फिर भी उनको तुमने हँसते हुए।
सब कुछ अपना दे दिया है।।
क्यों याद हमको————।।

कभी क्या खुशी तुमने हमको दी है।
इज्जत कभी क्या तुमने हमको दी है।।
आबाद हमने तुमको किया था।
बर्बाद तुमने जबकि हमको किया है।।
क्यों याद हमको—————-।।

जी नहीं सकेगी तू हमारे बिना कल।
तुम्हें याद आयेगी बहुत हमारी कल।।
क्यों अब कदम तेरी दर पर रखेंगे।
बदनाम हमको तुमने तेरे घर किया है।।
क्यों याद हमको——————।।

नहीं आऊँगा तेरी दर पे, मैं आज के बाद

नहीं आऊँगा तेरी दर पे, मैं आज के बाद।
नहीं करूंगा तुमसे प्यार, मैं आज के बाद।।
नहीं आऊँगा तेरी दर पे———————।।

मैं आया जब कभी यार, वहाँ तेरी दर पे।
नहीं दिया मुझको सम्मान, तुमने अपने घर पे।।
मैं नहीं कम स्वाभिमानी, तुमसे सच में यार।
नहीं झुकाउंगा तुमको सिर, मैं आज के बाद।।
नहीं आऊँगा तेरी दर पे——————–।।

बहुत करता था तेरी तारीफ, मैं अपने यारों से।
मुझको मतलब नहीं था, फूलों और बहारों से।।
एक सिर्फ तुमको ही, माना था मैंने अपना यार।
नहीं करूंगा दुहा तेरे लिए, मैं आज के बाद।।
नहीं आऊँगा तेरी दर पे——————-।।

मैं गुलाम नहीं हूँ , तुम्हारे हुस्न और सूरत का।
मैं तो जी आज़ाद हूँ , नहीं है गम आफत का।।
देता हूँ मैं तो ठोकर, आज तुम्हारी दौलत को।
नहीं मनाऊँगा अब तुमको, मैं आज के बाद।।
नहीं आऊँगा तेरी दर पे——————-।।

छः वर्ष से बड़े बच्चों का, स्कूल में नाम लिखवाना है

छः वर्ष की आयु से ज्यादा, उम्र के बच्चें अशिक्षित नहीं रहें।
नाम लिखवाओ इन बच्चों का स्कूल में, ये शिक्षा से वंचित नहीं रहें।।
————————————————————————–
छः वर्ष से बड़े बच्चों का, नाम स्कूल में लिखवाना है।
स्कूल भेजकर इन बच्चों को, शिक्षित जरूर बनाना है।।
छः से बड़े बच्चों का———————————–।।

आया है प्रवेशोत्सव, यह उत्सव सभी मनायें हम।
इस प्रवेशोत्सव में सहयोग का, हाथ सभी बढ़ाये हम।।
इस प्रवेशोत्सव का संदेश, घर – घर में पहुंचाना है।
छः से बड़े बच्चों का—————————-।।

निःशुल्क शिक्षा और पुस्तकें हैं, सरकारी स्कूलों में।
योग्य प्रशिक्षित शिक्षक हैं, इन सरकारी स्कूलों में।।
सरकारी विद्यालयों का महत्त्व, जन जन को बतलाना है।
छः से बड़े बच्चों का——————————।।

जैसे कि जरूरी है भोजन, जिन्दा रहने के लिए।
वैसे ही जरूरी है शिक्षा भी, जीवन जीने के लिए।।
अशिक्षित लोगों का तो अब, रहा नहीं जमाना है।।
छः से बड़े बच्चों का————————–।।

पढ़ने की उम्र में बच्चों से, मजदूरी नहीं करावो तुम।
शिक्षा से बच्चों का भविष्य, उज्ज्वल बनाओ तुम।।
घर, समाज और देश को, यदि शिक्षित बनाना है।
छः से बड़े बच्चों का—————————।।

साथ है मेरे सफर में, ये काँटें तो अभी तक

दामन मेरा नहीं छोड़ा, इन मुसीबतों ने अभी तक।
साथ है मेरे सफ़र में, ये काँटें तो अभी तक।।
दामन मेरा नहीं छोड़ा————————।।

क्या बुरा किया है किसी का, प्यार ही मांगा है सबसे।
क्यों मुझसे इतनी नफरत, करते हैं लोग अभी तक।।
दामन मेरा नहीं छोड़ा————————–।।

ऐसा नहीं कि मैंने कभी भी, पसीना नहीं बहाया है।
फिर भी मेहनत जितना फल, मुझे नहीं मिला अभी तक।
दामन मेरा नहीं छोड़ा——————————।।

जिसका भी मुझपे था अहसान, सूद समेत चुका दिया।
फिर भी क्यों मुझको कर्जदार, कहते हैं लोग अभी तक।।
दामन मेरा नहीं छोड़ा—————————-।।

अब तो बदल लिया है, मैंने भी अपना दिल-ओ- शहर।
फिर भी क्यों रूठा है मुझसे, मेरा नसीब अभी तक।।
दामन मेरा नहीं छोड़ा—————————-।।

किसी और के संग मत ऐसा करना

जैसा कि तुमने किया मेरे संग में।
किसी और के संग मत ऐसा करना।।
जरूरी नहीं वह मुझसा ही हो।
सलूक और से तू मत ऐसा करना।।
जैसा कि तुमने किया———-।।

जो चोट तुमने मेरे दिल पे की है।
नहीं कर सकेगा दुश्मन भी ऐसा।।
दिया प्यार तुमको अपनों के जैसा।
उसका दिया है यह तोहफा कैसा।।
यह दिल तुमको दुहा कैसी देगा।
ज़ख्म और को तू मत ऐसा देना।।
जैसा कि तुमने किया———।।

रहा नहीं जैसे आज तेरे काबिल।
देखा नहीं क्यों तुमने ऐसा पहले।।
इल्जाम मुझ पर जो आज लगाया।
रोका नहीं क्यों करते ऐसा पहले।।
दर्पण जो तुमने दिखाया है मुझको।
आईना और को मत ऐसा दिखाना।।
जैसा कि तुमने किया———-।।

ख़ता तेरी क्या है, नहीं पूछना मुझसे।
सच्चाई गर तेरी सबको बता दूँ ।।
कहना नहीं खुद को कभी तू पवित्र।
तेरी बड़चलनता गर सबको दिखा दूँ।।
मुझसे तो ज्यादा तुम्हें कौन जानेगा।
बदनाम और को मत ऐसा करना।।
जैसा कि तुमने किया———-।।

तुमने यह समझा कि तेरा गुलाम हूँ।
मजबूर हूँ मैं, बहुत कर्जदार हूँ।।
झुकता नहीं मैं तेरे सामने।
तुमसे तो ज्यादा मैं इज्जतदार हूँ।।
जैसा कि तुमने लूटा है मुझको।
खेल और के संग मत ऐसा खेलना।।
जैसा कि तुमने किया———–।।

यही तो जिंदगी है, यही तो दिल्लगी है

यही तो जिंदगी है, यही तो दिल्लगी है।
यही तो सादगी है,यही तो बंदगी है।।
गम में भी मुस्कराना, दर्द में भी हंसना।
यही तो जिंदगी है—————-।।

गर कभी साथ अपनों का, छूट जाये यहाँ।
जाना पड़े मुझको कभी, तुमसे दूर वहाँ।।
होकर तन्हा तू कभी भी, नहीं रोना।
तन्हाई में भी खुश, तू यहाँ रहना।।
यही तो जिंदगी है————–।।

हर खुशी मुझसे मिले, यह जरुरी नहीं।
ख्वाब मुकम्मल हो हर, यह जरुरी नहीं।।
लेकिन दिल तू अपना, छोटा नहीं करना।
काँटों में भी फूल जैसे, तू खिलते रहना।।
यही तो जिंदगी है——————।।

तेरी कोई खबर बुरी, मुझको नहीं मिले।
तेरा चेहरा उदास कभी, मुझको मिले नहीं।।
अपने नसीब को कभी, तू दोष नहीं देना।
संघर्ष जिंदगी से हमेशा, तू करते रहना।।
यही तो जिंदगी है——————।।

धूप- छाँव की तरह, यह सुख- दुःख है।
आज अंधेरा है तो, कल नयी सुबह है।।
तू निराश जिंदगी से, कभी नहीं होना।
इन अभावों में ही, आबाद होकर दिखाना।।
यही तो जिंदगी है——————-।।

वैसे तो होगा नहीं ऐसा कभी

वैसे तो होगा नहीं, ऐसा कभी मुझसे।
होना पड़े बेवफा, मुझको कभी तुमसे।।
वैसे तो होगा नहीं———————–।।

कोशिश मेरी यही है, मैं अपना वादा निभाऊँ।
दुहा मेरी यही है, हर ख्वाब तेरा मैं सजाऊँ।।
अफसोस होगा मुझको भी, मैं नहीं चाहता ऐसा।
जाना पड़े दूर मुझको, होकर रुसवां तुमसे।।
वैसे तो होगा नहीं———————–।।

जैसे कि दूर नहीं है, बहार फूलों से।
ऐसे ही मैं लिपटा रहूँ, तेरी बाँहों से।।
बेरौनक तू हो जाये, मेरी रजा नहीं ऐसी।
खोना पड़े चैन दिल का, तुमको मेरी वजह से।।
वैसे तो होगा नहीं———————–।।

मजबूरी कोई भी, उस वक़्त हो सकती है।
मुझको बुरा मत समझना, ख़ता हो सकती है।।
बहेंगे आँसू मेरे भी, आँसू तुम्हारे देखकर।
हो जाये मुझको नफरत, कल यार यूँ तुमसे।।
वैसे तो होगा नहीं———————–।।

जीवन बर्बाद मत कर तू

जीवन बर्बाद मत कर तू , इनपे विश्वास मत कर तू ।
वफ़ा नहीं ये किसी दिल से, वफ़ा इनसे मत कर तू ।।
जीवन बर्बाद मत कर तू ———————-।।

प्यार इनका झूठा है, वादा इनका झूठा है।
हसीन इन सूरतों ने, बहुत दिलों को लूटा है।।
करेगी बदनाम तुमको ये, इनसे दिल्लगी मत कर तू ।
जीवन बर्बाद मत कर तू ———————-।।

बहुत बेहरमी हैं ये दिल, बहुत बेशर्मी हैं ये हुर्र।
खिलौना मानकर दिल को, फैंक देती है ये दूर।।
यही हाल तुम्हारा करेगी, इनसे मोहब्बत मत कर तू ।
जीवन बर्बाद मत कर तू ———————–।।

नहीं है पाक इनकी हस्ती, दामन है दागदार इनका।
नकली है शान इनकी, नहीं है ईमान कुछ इनका।।
होगा बदनाम तू भी इनसे, जी हुजूरी इनकी मत कर तू ।
जीवन बर्बाद मत कर तू ————————-।।

लगाकर तू दिल किसी से

लगाकर तू दिल किसी से, मुसीबत मोल मत लेना।
इश्क करके किसी से तू , कैद किसी में मत होना।।
लगाकर तू दिल किसी से————————–।।

जिसे समझा है तूने हुर्र, फ़क़त वह ख्वाब है तेरा।
वह साथी है कुछ पल का, नहीं हमदर्द वह तेरा।।
संजोकर ख्वाब हुर्रों के, तू वक़्त बर्बाद मत करना।
अपनी मंजिल और पथ में, तू नश्तर इनके मत बोना।।
लगाकर तू दिल किसी से————————–।।

शौक-ए-मौज रख दिल में, खेल तू इनकी जुल्फों से।
गुलाम किसी का मत हो तू , चूसकर रस फूलों से।।
बनाकर किसी को हमदर्द, दर्दे-दिल पैदा मत करना।
बहाकर आँसू अनमोल तू , खुद बुझदिल मत होना।।
लगाकर तू दिल किसी से———————–।।

इन्हें मतलब है दौलत से, वफ़ा नहीं ये किसी से।
इन्हें है भूख महलों की, नहीं मतलब मोहब्बत से।।
तू इन नापाक हुर्रों को, कभी लहूदान मत करना।
इनसे बर्बाद और बदनाम, कभी भी तू मत होना।।
लगाकर तू दिल किसी से———————।।

संघर्ष ही जिंदगी है

संघर्ष ही जिंदगी है, संघर्ष ही मंजिल है।
संघर्ष भी एक खुशी है, महकता जिससे जीवन है।।
संघर्ष ही जिंदगी है—————————-।।

डरो मत तुम राह में, इन काँटों, इन पत्थरों से।
करो संघर्ष तुम इनसे, इन तूफानों- बयारों से।।
रफत मिलती है संघर्ष से, संघर्ष ख्वाबों की मंजिल है।
संघर्ष भी एक खुशी है, महकता जिससे जीवन है।।
संघर्ष ही जिंदगी है—————————-।।

नीर का बहना नहीं रुकता, सूरज का चलना नहीं रुकता।
फूल खिलते हैं काँटों में, कमल धरती पर नहीं खिलता।।
इरादा हो अगर मजबूत, ना कोई काम मुश्किल है।
संघर्ष भी एक खुशी है, महकता जिससे जीवन है।।
संघर्ष ही जिंदगी है—————————-।।

रात के बाद सवेरा है, वक़्त बदलता रहता है।
पसीना देता है ठण्डक, आग में सोना तपता है।।
खुशी- गम पहलू है जीवन के, संघर्ष ही मीठा फल है।
संघर्ष भी एक खुशी है, महकता जिससे जीवन है।।
संघर्ष ही जिंदगी है—————————-।।

मत करना तू मुझ पर भरोसा

मत करना तू मुझ पर भरोसा, मैं वफ़ा यहाँ किसी से नहीं।
मत करना इंतजार तू मेरा, मैं यहाँ दीवाना किसी का नहीं।।
मत करना तू मुझ पर भरोसा————————-।।

मैं हूँ हवा का एक झौंका, किस वक़्त मैं आ जाऊँ।
मैं हूँ गगन का एक बादल, किस वक़्त मैं बरस जाऊँ।।
मत करना इसरार तू मेरा, मैं यहाँ कैद किसी में नहीं।
मत करना तू मुझ पर भरोसा——————–।।

मुझको यहाँ चाहिए, धन- दौलत और महल।
मौज मस्ती जीवन में, मुझको यहाँ हर पल।।
मत करना उम्मीद तू मुझसे, मुझको मोहब्बत तुमसे नहीं।
मत करना तू मुझ पर भरोसा———————–।।

मैं यहाँ पर हूँ परदेसी, घर नहीं है यहाँ मेरा।
आज यहाँ है ठिकाना, होगा कहाँ कल सवेरा।।
मेरे लिए तू नहीं तड़पना, साथ तुम्हारा दे सकता नहीं।
मत करना तू मुझ पर भरोसा———————।।

कैसे तुमने यह सोच लिया

कैसे तुमने यह सोच लिया, करता हूँ प्यार मैं तुमसे।
फ़क़त तेरा यह वहम है, मुझको है प्यार बहुत तुमसे।।
कैसे तुमने यह सोच लिया—————————।।

दिया है ऐसा क्या मुझको, जिससे करूँ तारीफ तेरी।
दिया है मुझको कितना आदर, कि मैं करूँ खिदमत तेरी।।
क्यों मानती है ऐसा तू , चाहता हूँ मिलना मैं तुमसे।
फ़क़त तेरा यह वहम है, मुझको है प्यार बहुत तुमसे।।
कैसे तुमने यह सोच लिया————————।।

दुहा यह अक्सर तुमने की, उजड़ जाये चमन मेरा।
लूटा है मुझको बहुत तुमने, किया बदनाम दिल मेरा।।
ऐसे क्यों देखती है तू , जैसे कुछ चाहती है मुझसे।
फ़क़त तेरा यह वहम है, मुझको है प्यार बहुत तुमसे।।
कैसे तुमने यह सोच लिया———————–।।

तू जाना तू वो दिन, मस्ती भरे पल कल के।
वो अपना लड़ना- झगड़ना,सँजोये ख्वाब मंजिल के।।
क्यों ऐसा तू समझती है, चाहता हूँ तुमको दिल से।
फ़क़त तेरा यह वहम है, मुझको है प्यार बहुत तुमसे।।
कैसे तुमने यह सोच लिया———————-।।

मोहब्बत मेरी जब यह, जमाना जानेगा

मोहब्बत मेरी जब यह, जमाना जानेगा।
नफरत हसीना से, दीवाना करेगा।।
यह गीत मेरे जब, आशिक सुनेगा।
खिलाफत इन हुर्रों की, वह करेगा।।
मोहब्बत मेरी जब——————।।

तुम्हारे दुःख लेकर सारे।
हर खुशी तुमको मैंने दी यारा।।
बदले में मुझसे बेवफाई।
बर्बादी मेरी तूने की है यारा।।
समर्पण तुम्हारे लिए मेरा यह संसार।
किताबों में जब यह, कल को पढ़ेगा।।
करेगा खुशामद नहीं मेहजबीन की।
दूर अपने दिल से हुर्र को करेगा।।
मोहब्बत मेरी जब——————।।

देखेगा जब यह मेरे लहू को।
तस्वीर जिससे मैंने तेरी बनाई।।
देखेगा जब यह मेरी चाहत को।
जगह दिल में जो तेरी बनाई।।
दुहायें तेरे लिए जो की है मैंने।
उन्हें आदमी जब कल को सुनेगा।।
मांगेगा नहीं वह इफाजत गुल की।
वह बेवफाई हुर्र से करेगा।।
मोहब्बत मेरी जब—————–।।

आयेगी याद तुमको मेरी बहुत कल।
गिरायेगी आँसू रातों को कल तू।।
पुकारेगी मुझको आवाज़ देकर।
तलाशेगी मुझको बहुत यार कल तू।।
चमन मेरी मोहब्बत का जमाना।
आँखों से खुद आकर देखेगा।।
तारीफ कल को यहाँ कोई साजन।
किसी नाजमीन की नहीं करेगा।।
मोहब्बत मेरी जब——————-।।

हमारे बिना तुम जी नहीं सकोगे

हमारे बिना तुम, जी नहीं सकोगे।
हमें याद कल को, बहुत करोगे।।
हमारे बिना तुम————-।।

होगी जब भी इच्छा, हंसने की तेरी।
रजा कोई गीत, सुनने की तेरी।।
सुनोगे जुदाई का, जब कोई गीत तुम।
आँखों के आँसू , रोक नहीं सकोगे।।
हमारे बिना तुम—————-।।

देखोगे जब तुम, आशिकों को मिलते।
मोहब्बत की उनको, हंसी बातें करते।।
नजर जब आयेंगे, तुम्हें फूल खिलते।
मिलने की इच्छा तुम, रोक नहीं सकोगे।।
हमारे बिना तुम——————-।।

कहानी लिखोगे, जब तुम कोई।
लिखोगे वो बातें, जो अब तक हुई।।
चेहरा हमारा ही तब, सामने होगा।
हमको पुकारे बिना, रह नहीं सकोगे।।
हमारे बिना तुम——————।।

शिक्षक एवं साहित्यकार
गुरुदीन वर्मा उर्फ़ जी.आज़ाद
तहसील एवं जिला- बारां(राजस्थान)

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