राष्ट्रीय साक्षरता दिवस से हिंदी सप्ताह का श्रीगणेश
राष्ट्रीय साक्षरता दिवस से हिंदी सप्ताह का श्रीगणेश
माता भारती के भाल पर स्वर्णिम सजी बिंदी।
वो है समृद्धशाली राष्ट्र का गौरव मेरी हिंदी।।
छिन्दवाड़ा :- साहित्य अकादमी मध्यप्रदेश संस्कृति परिषद, संस्कृति विभाग, मध्यप्रदेश शासन की इकाई पाठक मंच (बुक क्लब) छिंदवाड़ा द्वारा राष्ट्रीय साक्षरता दिवस के अवसर पर हिंदी सप्ताह का आगाज करते हुए भारत माता दिव्यांग छात्रावास नई आबादी छिंदवाड़ा में व्याख्यान और रचनापाठ का कार्यक्रम कवि राजेंद्र यादव की अध्यक्षता, मध्यप्रदेश शासन के साक्षरता मिशन में अपनी महत्वपूर्ण भूमिका के लिए जाने माने चर्चित व्यंग्यकवि कृष्ण कुमार मिश्रा “कायर“ के मुख्य आतिथ्य, साहित्यकार नेमीचंद “व्योम” के विशेष आतिथ्य में संपन्न हुआ !
दो चरणों में आयोजित इस कार्यक्रम आगाज अमरवाड़ा से पधारे युवा कवि मनीष तारण द्वारा प्रस्तुत मां सरस्वती की वन्दना से हुआ कार्यक्रम का संचालन पाठक मंच के संयोजक विशाल शुक्ल ने किया।
इस कार्यक्रम में छिंदवाड़ा नगर से नेमी चंद व्योम, के के मिश्रा कायर, विजय आनंद दुबे, राजेंद्र यादव, विशाल शुक्ल अनुराधा तिवारी, पद्मा जैन, हरिओम अर्पण, शशांक दुबे, शशांक पारसे, विजय पवार जबकि मनीष तारण (अमरवाड़ा), भोला प्रसाद नेमा (हर्रई) रहेश वर्मा (चौरई) अंशुल शर्मा (बिछुआ) श्रीकांत सराठे (चांद) से कार्यक्रम में पधारकर अपनी रचनाओं और विचारों से सुधी श्रोताओं को सराबोर किया!
देर शाम तक चले कार्यक्रम में काव्य प्रेमी भी प्रमुख रूप से उपस्थित रहे। कार्यक्रम के अंत में कवि विशाल शुक्ल ने भगवान शिव पर केंद्रित अपनी प्रतिनिधि रचना पढ़ते हुए कार्यक्रम की सफलता पर सभी का आभार व्यक्त किया वहीं कार्यक्रम अध्यक्ष कवि राजेंद्र यादव ने अपनी चुटीली रचनाओं से समां बांधा!
कार्यक्रम के मुख्य अतिथि हास्य व्यंग्य कवि कृष्ण कुमार मिश्रा कायर ने साक्षरता मिशन में अपने अनुभव और रचनाओं के माध्यम से लोगो का मार्ग प्रशस्त करते अपनी व्यंग रचनाओं सहित जिक्र किया “1965 में ईरान की राजधानी तेहरान में विकासशील देशों के शिक्षा मंत्रियों की बैठक हुई और निरक्षरता को दूर करने के लिए संकल्प लिया गया इसलिए 8 सितम्बर को अंतर्राष्ट्रीय साक्षरता दिवस मनाया जाता है“ विशिष्ट अतिथि और साहित्यकार नेमी चंद “व्योम” ने भाषा के ज्ञान और उच्चारणों में प्रकाश डालते हुए अंतराष्ट्रीय साक्षरता दिवस पर अपनी प्रासंगिक रचना पढ़ी!
महामहिम राष्ट्रपति महोदय से सम्मानित नाट्य और साहित्य जगत से जुड़े हास्य व्यंग्य के चितेरे कवि विजय आनंद दुबे ने साक्षरता पर ओजस्वी गीत पढ़कर तालियां बटोरी!
कवि शशांक पारसे ”पुष्प” ने अपनी रचनाओं के साथ साक्षरता का अर्थ बताया..
”केवल शब्दों के ज्ञान तक सीमित न रह जाए, बल्कि नैतिक शिक्षा से आचरण तक परिवर्तित हो। हिन्दी भाषा के उच्चारण का वैज्ञानिक आधार है ,जानकारी के अभाव में उच्चारण दोष सामान्य हो गया है!
हर्रई के भोला प्रसाद नेमा ने विचार व्यक्त किया “पढ़ना तभी सार्थक है जब उसका अर्थ जीवन में उतारा जाए। बड़ी कक्षाओं का पाठ्यक्रम हिन्दी में उपलब्ध हो रहा है, जिससे हिन्दी भाषा का विकास होगा।”
कवियत्री अनुराधा तिवारी ने हिंदी पर अपनी रचना पढ़ी..
“माता भारती के भाल पर स्वर्णिम सजी बिंदी।
जिसके शब्द सामर्थ्यो से ही उम्मीद है जिंदी ।।
लिपी है देवनागरि जिसकी जो हर भाषा की भी जननी,
वो है समृद्धशाली राष्ट्र का गौरव मेरी हिंदी।।”
बिछुआ से पधारे अंशुल शर्मा ने पढ़ा…
“हिंदी से ही में मेरी पहचान लिखता हूँ,
हिंदी से ही राष्ट्र का सम्मान लिखता हूँ।
बड़ा ही गर्व है मुझे जहां में रहता हूँ,
उसी हिंदी से वतन अपना हिंदुस्तान लिखता हूँ।”
हरिओम माहोरे “अर्पण” ने हिंदी के पक्ष में समर्थन दिया…
ग़ज़ल में गीत में हमने कभी दोहा में ढाला है,
बड़ी नाज़ुक है ये हिंदी जिसे हमने सम्भाला है।
ओज कवि शशांक दुबे ने पढ़ा…
“सिखाने में जिनको ज़माने लगे हैं
वही हमको चलना सिखाने लगे हैं।
किया था मेरे साथ वैसा मिला तो
अभी जाके उनके ठिकाने लगे हैं”
चौरई से आए रहेश वर्मा ने दर्द बयां किया…
“दिल की गहरी चोट में भी मुस्कुराना चाहता हूं।
लाख धोखा हो तुम्हारा दिल लगाना चाहता हूं।
बोलना हमने सिखाया, लीलना हमने सिखाया।
हम खुद हमारी संस्कृति को क्यों मिटाना चाहते हैं।”
मुक्त कंठ से अभिव्यक्ति देते हुए शिक्षा जगत से जुडी कवियत्री पद्मा जैन ने चिंतन दिया…
“गलती पर करे गलती उसे शैतान कहते हैं,
गलती कर न सुधरता हो,उसे हैवान कहते हैं।
गलती छोड़ कर बैठा उसे भगवान कहते हैं ।
जो गलती कर सुधार जाए उसे इंसान कहते हैं।”
नवोदित कवि विजय पवार ने व्यंग्य पढ़ा..
“हमने देखे है बचपन में स्कूल शिक्षा
बच्चे मांगते थे गुरु से पढ़ने की भिक्षा
अब का दौर एक ऐसा भी है देखा
बच्चे कहते आज नही हो रही पढ़ने की इक्षा”
हर्रई से पधारे कवि भोले नेमा चंचल ने पढ़ा…
“हर किसी को एक हुनर, देती है ज़िन्दगी!
फिर इम्तिहान ख़ूब भी लेती है ज़िन्दगी!
जैसा करोगे वैसा ही फल पाओगे “चंचल”
सच मायने में कर्मों की, खेती है ज़िन्दगी।।”
अमरवाड़ा से शिरकत कर रहे कवि ” मनीष तारण” ने पढ़ा..
“गर दिलों में जिंदा रहना है, कुछ काम तो ऐसे करता चल,
है चार दिनों का यह जीवन तू हंसता और हंसाता चल”
चांद से पधारे कवि श्रीकांत सराठे ‘साकेत’ ने अपनी स्वतंत्र अभिव्यक्ति दी…
“मोहन तेरी गायो का, क़त्ले आम हुआ
कोई एक नही, आंकड़ा, पछत्तर के पार हुआ
एक कामधेनु, वत्सला के, प्राण रक्षा की सौगंध खाते है
इतनी निर्मम हत्या, सब सनातनी ग्वाले छले जाते है”
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