Ho Aagaman Tumhara

हो आगमन तुम्हारा | Ho Aagaman Tumhara

हो आगमन तुम्हारा

( Ho Aagaman Tumhara )

मेरा नहीं है कुछ भी
सब कुछ है तुम्हारा
मैं तो बस परछाई हूं
साजन तुम साज तुम्हारा।

माटी की तुम भीनी खुशबू
अंतर का तुम भेद
भेद मिटे तन का मन का
हो आगमन तुम्हारा।

मीठे सपनों की बगिया तुम
इच्छा मेरी डूबी उसमें
नहीं जागना आज मुझे
देख रही हूं स्वप्न तुम्हारा।

छूकर तप्त हुई हूं
टेसू की भांति खिली हूं
मौजी मन से निपट सकेगा
केवल साथ तुम्हारा।

सुधा चौधरी
बस्ती, उत्तर प्रदेश

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