Hum Chale Saath mein

हम चले साथ में | Hum Chale Saath mein

हम चले साथ में

( Hum chale saath mein )

 

दिन दोपहरी और शाम में,
चाहें काली अंधेरी इस रात में।
सर्दी, गर्मी और बरसात में,
आओ हम चलें एक साथ में।।

सुख-दुःख सबके ही साथ है,
कभी धूप और कभी छाँव है।
हाथों में अपनें यही हाथ है,
सात जन्मो का अपना साथ है।।

जीत ही लेंगे तब हम अंधेरा,
अगर आप जो हमारे साथ है।
आएगा फिर से वो उजियारा,
ये दृढ़ संकल्प हमारे पास है।।

कट ही जाएगी यह ज़िन्दगी,
ईश्वर का यही एक लेख है।
आज अपनी यही हार है तो,
तो कल अपनी फिर जीत है।।

 

रचनाकार : गणपत लाल उदय
अजमेर ( राजस्थान )

Similar Posts

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *