हम दो | Hum Do
हम दो
( Hum do )
जहांँ हम दो हैं
वहीं है परिवार
सारा साज- श्रृंँगार
सुरक्षा और संस्कार।
जब साथ होते हैं
सुकून में भीगे-भीगे
लम्हात होते हैं
नेह का मेह बरसता है
खुद पर विश्वास
आशाओं का
आकाश होता है।
दौड़ती -भागती जिंदगी में
ये अल्पविराम अभिराम होता है
इन पलों में जैसे यहांँ
सदियों का आराम होता है।
( साहित्यकार, कवयित्री, रेडियो-टीवी एंकर, समाजसेवी )
भोपाल, मध्य प्रदेश