हम क्या जिंदगी में करे अब
हम क्या जिंदगी में करे अब
हम क्या जिंदगी में करे अब
हाँ बेरोजगारी हुऐ अब
लूटा अपनों ने सब कुछ मेरा
कहां जाकर के हम रहे अब
बातें अपनों की मानी मैंनें
अपने फ़ैसले ही किये अब
वरना सब्र करते थे दिल में
देखो दुश्मनों से लड़े अब
चलो अपनों से ही ले बदला
यहां जुल्म कब तक सहे अब
नहीं कोई आज़म है तेरा
यहां से कहीं पे चले अब
️
शायर: आज़म नैय्यर
(सहारनपुर )
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