समय आए तभी होते जहां में काम सारे ही
समय आए तभी होते जहां में काम सारे ही

समय आए तभी होते जहां में काम सारे ही

 

समय आए तभी होते जहां में काम सारे ही।

नहीं आया समय तो फिर हुए नाकाम सारे ही।।

 

सफाई क्या भला देते बुरे जिनकी नज़र में हम।

सहे हँस-हँस सदा हमने यहाँ इल्जाम सारे ही।।

 

हुए मशहूर दुनिया में दिलों को बांटने वाले।

मुहब्बत की यहां जिसने हुए बदनाम सारे ही।।

 

सभी सुनते रहे बेशक नतीजा कुछ नहीं निकला।

दिलों तक ही नहीं पहुँचे अमन- पैगाम सारे ही।।

 

कहीं शोहरत कहीं दौलत नशा सबका जुदा जग में।

यहां अपनी तरह से पी रहे हैं जाम सारे ही।।

 

फिरे जो बेचते अपना  यहां  ईमान कौङी में।

न कोई मोल फिर उनका बिके बेदाम सारे ही।।

 

लुटा दी जान भी अपनी वतन आज़ाद करने में।

न आया नाम भी उनका रहे गुमनाम सारे ही।।

 

“कुमार” कुछ नहीं मिलता बिना किस्मत कभी यारो।

रहे मौजूद दुनिया में अशो -आराम सारे ही।।

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कवि व शायर: Ⓜ मुनीश कुमार “कुमार”
(हिंदी लैक्चरर )
GSS School ढाठरथ
जींद (हरियाणा)

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