हमसे शिक़ायत कैसी

हमसे शिक़ायत कैसी

हमसे शिक़ायत कैसी

जुर्म की जब हो हुकूमत तो वकालत कैसी
पूछते लोग हैं फिर हमसे शिक़ायत कैसी

दुनिया वाले जो करें प्रेम तो अच्छा लेकिन
जब करें हम तो कहे लोग मुहब्बत कैसी

दिल बदलते हैं यहां लोग लिबासों की तरह
हमने बदला है अगर दिल तो क़यामत कैसी

लोग यूं ही तो नहीं मरते हैं हम पर यारों
ये ख़बर सारे ज़माने को है उल्फ़त कैसी

झूठ से बच तो नहीं सकता कभी तू भी प्रखर
बोलता सच हैं अगर तू तो सियासत कैसी

Mahendra Singh Prakhar

महेन्द्र सिंह प्रखर 

( बाराबंकी )

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