![Group of six indian businessman in suits posed outdoor in winter Hungama Khada kar Diya](https://thesahitya.com/wp-content/uploads/2023/12/Hungama-Khada-kar-Diya-696x463.jpg)
हंगामा खड़ा कर दिया
( Hungama khada kar diya )
ऊल जुलूल फिजूलों ने, कुछ हमारी भूलों ने।
उन टूटे हुए उसूलों ने, हंगामा खड़ा कर दिया।
बातों पे अड़ते तुलो ने, अधर लटकते झूलों ने।
वाणी के तीखे शुलों ने, हंगामा खड़ा कर दिया।
झूठी कसमें कुबूलो ने, सच की सारी मूलों ने।
श्वेत मतंग दूध धुलो ने, हंगामा खड़ा कर दिया।
चंचल शोख से चुलबुलो ने, बेबुनियाद बुलबुलों ने।
मन की पीर कुलबुलो ने, हंगामा खड़ा कर दिया।
कायदे कानून उन रुलो ने, महकते हुए फूलों ने।
गुलशन के उन गुलों ने, हंगामा खड़ा कर दिया।
बहती सर्द हवाई पूनों ने, सुर्ख आईने की धूलों ने।
कागज के कलमी पूलों ने, हंगामा खड़ा कर दिया।
कवि : रमाकांत सोनी
नवलगढ़ जिला झुंझुनू
( राजस्थान )