इच्छाओं का मर जाना | Ichchaon ka Mar Jana
इच्छाओं का मर जाना
अभी भी जीवित है पुष्प,
शाख से टूट जाने के बाद,
कर्म उसका महकना है,
मंजिल से न बहकना है,
हो जायेगा किसी प्रेमिका के नाम
या आयेगा वीर की शैय्या पे काम,
उसे अभी कर्तव्य पथ जाना है,
अपने होने का फ़र्ज़ निभाना है
वो जीवित है अपनी इच्छओं पर
प्रतिबद्ध है अंततः
मिट्टी में मिल जाने तक…!
क्योकि…
मृत्यु से कम नही
इच्छाओं का मर जाना !!
डी के निवातिया