ईश्वर लीला | Ishwar Lila
ईश्वर लीला
( Ishwar Lila )
मंदिर मस्जिद गिरजा गुरुद्वारे,
प्रभु पिता के ही चौबारे,
जहां भी जाओ उसे ही पाओ,
रंग रूप से मत भरमाओ
मन मंदिर में उसे बसाओ
परम पिता की शरणागति में
परमानन्द को पाओ।
मानवमात्र सब
संत्तति उसकी,
रंग बिरंगी दुनिया जिसकी,
दीन हीन पर उसकी छाया ,
जहां तहां उसकी माया
कहीं धूप है कहीं पे छाया
मूरख मन फिर क्यों भर माया ,
शरण में उसकी सबकुछ पाया ।
श्रृष्टि नियता एक वही है,
सबका पालन हार,
जीवन सबका सफल बनाये ,
श्रद्धा, प्रेम व्यवहार,
सीख उसी की ये अपनायें,
मन वांछित फलहार को पायें,
जन जीवन सारा मुस्कायें ।
श्री दर्शनदास जी
( नोएडा )