जामुन | Jaamun Par Kavita
जामुन
( Jaamun )
( Jaamun )
दशहरा! ( Dussehra ) दशहरा सदा यूँ मनाते रहेंगे, कागज का रावण जलाते रहेंगे। फूहड़ विचारों को कहाँ छोड़ पाए, रस्मों-रिवाज हम दिखाते रहेंगे। चेहरा मेरा एक दिखता जगत को, बाकी वो चेहरा छुपाते रहेंगे। भ्रष्ट रहनुमाओं से क्या मुक्ति मिलेगी, नहीं तो बजट वो चबाते रहेंगे। करते हैं पाप, तन धोते हैं गंगा,…
चलो चलें ( Chalo Chale ) यह संसार तो दुःख का घर है।सपने में भी नहीं सुख यहाँ पर है। माया के हाथों में है सबकी डोर ।फिराए चाहे माया जिस भी ओर।लाचार जीव धुनें सिर पकड़ है।सपने में भी नहीं सुख यहाँ पर है। भटक-भटक कर थक जाएँ।सुकून कहीं पर न जीव पाएँ।भक्ति बिना…
धर्म साधना का महीना ( Dharma Sadhana ka Mahina ) लगा है सावन का महीना विचारो में आस्था जगी है। धर्म की ज्योति भी देखो दिलों में जल उठी है। तभी तो सावन में देखो मंदिरो में भीड़ लगी है। और प्रभु दर्शन पाने की सभी में होड़ लगी है।। सिर अपना झूका कर प्रभु…
मेलों की बात निराली है ( Melon ki baat nirali hai ) झूले सर्कस सज रही दुकानें नाच रही मतवाली है। आओ मेला देखन जाए मेलों की बात निराली है। बिके बांसुरी हाथी घोड़े भांति भांति के खेल खिलौने। शहरी ग्रामीण सब जन आए लगे नजारे बड़े सलोने। चाट पकोड़े कुल्फी खाओ खूब पियो…
वर्ग विशेष ( Varg vishesh ) मानते हो यदि कोई स्वयं को साहित्यकार तो उसे खुलकर भी विरोध मे लिखना होगा लुट रहीं बहन बेटियां ,सरेआम कत्ल हो रहे बढ़ रहे दंगे फसाद , आतंकी मस्त हो रहे चोले बदलकर जिहादी ,कर रहे नाच नंगा संभाल रहे अभी आप,तहजीबी जमुना गंगा आए बन शरणार्थी,तानाशाही…
बाद तुम्हारे ( Baad Tumhare ) जो आशा के बीज थे बोए, उन पर वक्त के ऑसू रोए, छोंड़ गए तुम साथ हमारा, कैसे हो बिन तेरे गुजारा, आज नहीं तुम साथ हो मेरे, तब चिंता घेरे बहुतेरे, कैसे सबसे पार मै पाऊं, विकट परिस्थित घबरा जाऊं, आती है अब याद तुम्हारी, पापा हर एक…