जामुन | Jaamun Par Kavita
जामुन
( Jaamun )
( Jaamun )
नव-सभ्यता ( Nav Sabhyata ) नव सभ्यता की मजार में फटी चादर का रिवाज है आदिम जीवन की आवृत्ति में शरमों -हया की हत्या है प्रेम-भाव के विलोपन में तांडव का नर्तन है मशीनी मानव की खोज में मां-बेटियां नीलाम है हाय-हेलो की संस्कृति में सनातन हमारी श्मशान है पछुयायी की नशे में मिजाज हमारा…
कुछ ( Kuch ) चल आज कुछ सुनाती हूं लफ्जों मे अपने बया करती हूं ज़िंदगी का यह बहुत प्यारा अहसास है दूर होकर भी सब के दिल के पास है मानो खुशियों का मेला है, यह जीवन भी कहां अकेला है सब ने गले से लगाया है मुझे तोहफों से सजाया है मुझे…
मैं अपना ( Main Apna ) मैं अपना सर्वस्व लुटा दूँ. फिर भी तुम्हारी नजर में नहीं आऊँगा क्योंकि तुम्हारी निरपेक्षता केवल जिहवा पर आती है. तुम बहुत ही माइनर हो, तुमने रचकर छद्म मकड़जाल इसीलिए लोगों को शिक्षा से वंचित किया, जिससे तुम मिटाकर सारी वास्तविकता इतिहास से बता सको दुनिया को नहीं…
सौंदर्य ( Saundarya ) सौन्दर्य समाहित ना होता, तेरा मेरे अब छंदों में। छलके गागर के जल जैसा, ये रूप तेरा छंदों से। कितना भी बांध लूं गजलों मे,कुछ अंश छूट जाता है, मैं लिखू कहानी यौवन पे, तू पूर्ण नही छंदों में। रस रंग मालती पुष्प लता,जिसका सुगंध मनमोहिनी सा। कचनार कली…
सिंदूर दान रक्त वर्ण सुवर्ण भाल कपाल का श्रृंगार है यह। ये मेरा सिंदूर है भरपूर है संस्कार है यह।। तुम न होते मैं न होती कौन होता, फिर जगत में कुछ न रहता शून्य होता, पर हमारे प्रणय पथ के प्रण का मूलाधार है यह।।ये मेरा० सप्तफेरी प्रतिज्ञा जब प्रकृति में…
नवरात्रि (दिकु के इंतज़ार में) तेरे चरणों में माँ, सारा जहाँ झुका है,तेरी ममता से जीवन, हर खुशी से भरा है।अब तेरे आशीर्वाद से, हर दुख दूर करा दे,और कुछ नहीं चाहिए माँ, मेरी बस यही बिगड़ी बना दे। नवरात्रि की हर रात, चलती है माँ तेरे नाम पर,दिकु का इंतजार है, इस दिल के…