पर्यावरण
पर्यावरण

पर्यावरण

( Paryaavaran )

वृक्ष धरा का मूल भूल से इनको काटो ना ,
नदी तालाब और पूल भूल से इनको  पाटो ना!
वृक्षों  से हमें फल मिलता है
 एक सुनहरा कल मिलता है
पेड़ रूख बन बाग तड़ाग ,
सब धरती के फूल …
    भूल से इनको  काटो ना   ..
 इनकी करो सदा रखवाली ,
             आए धरती पर  हरियाली ।
       यही धरा का गहना है
      तभी मौसम हो अनुकूल…..
जीव -जंतु तरु पशु -पक्षी
  इनकी  देखभाल करो तुम अच्छी
एक दूसरे पर सब निर्भर
 सब इनको करो कबूल . …
भूल से इनको काटो ना….
चारों तरफ  प्रकृति का घेरा
यही जीवन है यही सवेरा
            यही प्रकृति का प्राण आधार
नहीं तो केवल धूल ….
   भूल से इनको काटो ना

?

कवि : रुपेश कुमार यादव ” रूप ”
औराई, भदोही
( उत्तर प्रदेश।)

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