कविताएँपर्यावरण | Paryaavaran par kavita June 5, 20214970 ShareWhatsAppReddItFacebookTwitterPinterestTelegramViber पर्यावरण पर्यावरण( Paryaavaran )वृक्ष धरा का मूल भूल से इनको काटो ना ,नदी तालाब और पूल भूल से इनको पाटो ना!वृक्षों से हमें फल मिलता है एक सुनहरा कल मिलता हैपेड़ रूख बन बाग तड़ाग ,सब धरती के फूल … भूल से इनको काटो ना .. इनकी करो सदा रखवाली , आए धरती पर हरियाली । यही धरा का गहना है तभी मौसम हो अनुकूल…..जीव -जंतु तरु पशु -पक्षी इनकी देखभाल करो तुम अच्छीएक दूसरे पर सब निर्भर सब इनको करो कबूल . …भूल से इनको काटो ना….चारों तरफ प्रकृति का घेरायही जीवन है यही सवेरा यही प्रकृति का प्राण आधारनहीं तो केवल धूल …. भूल से इनको काटो नाकवि : रुपेश कुमार यादव ” रूप ”औराई, भदोही( उत्तर प्रदेश।)यह भी पढ़ें :-बहु राज || KavitaRELATED ARTICLESMORE FROM AUTHOR कविताएँअगर तू जो एक किताब है कविताएँभोर तक | Kavita Bhor Tak कविताएँआसमान तक पहुंच होLEAVE A REPLY Cancel replyPlease enter your comment! Please enter your name here You have entered an incorrect email address!Please enter your email address here Save my name, email, and website in this browser for the next time I comment. Δ