जब भी चाहेगा तू रूलायेगा
जब भी चाहेगा तू रूलायेगा
( Jab bhi chahega tu rulayega )
इससे ज्यादा भी क्या सतायेगा,
जब भी चाहेगा तू रुलायेगा।।
शुकून हवा का इक झोंका है,
अभी आया है चला जायेगा।।
नज़र मिलाके जरा बात करो,
मामला तब समझ में आयेगा।।
एक मुद्दत से मैं सोया ही नहीं
अपनी बाहों में कब सुलायेगा।।
हाथ से हाथ मिलाया है अभी,
क्या कभी दिल भी मिलायेगा।।
मेरा दिल तोड़कर जाने वाले,
अकेले में बहुत पछतायेगा।।
दिये से हार गया है लेकिन,
कोई तूफ़ान फिर बुलायेगा।।
ये जहां किसी का नहीं है शेष
जो भी आया यहां से जायेगा।।


कवि व शायर: शेष मणि शर्मा “इलाहाबादी”
प्रा०वि०-नक्कूपुर, वि०खं०-छानबे, जनपद
मीरजापुर ( उत्तर प्रदेश )
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