
पर्यावरण
( Paryaavaran )
नीम की डाली ने चिड़िया से कहा आ जाओ।
रोकर चिड़िया ने कहा मेरा पर्यावरण लाओ।।
धुआ ये धूल और विष भरी गैसों का ब्योम,
कैसे पवित्र होगा हमको भी तो समझाओ।।
काट कर पेड़ हरे अभिमान से रहने वालों,
छांव के लिए सिर धुनकर नहीं अब पछताओ।।
कारखानों का गंदा पानी और कूड़ा कचरा,
नदी के पेय जल में इसे अब न मिलवाओ।।
रासायनिक खाद का बहुत प्रयोग मरती मृदा,
गोबर की खाद से अनाज स्वस्थ उपजाओ।।
पन्नी की थैली और रबड़ के बर्तन का प्रयोग,
जीवन बचाना है अगर तो इन्हें रुकवाओ।।
वैश्विक उष्णता पर भी गहन विचार करो,
ओजोन छिद्र बढ़ न पाये पेड़ लगवाओ।।
बिखर जाये न कहीं हाथ में आया मोती,
पर्यावरण चेतना के दीप सघन जलवाओ।।
सामाजिक मानसिक प्रदूषण भी अधिक है ‘शेष’,
तंत्र है भ्रष्ट फिर नया कोई सूरज लाओ।।