![Hanuman](https://thesahitya.com/wp-content/uploads/2024/06/Hanuman-696x521.jpg)
सुरसा बाधा का प्रतीक है। जीवन में हम जब श्रेष्ठ कार्य करने चलते हैं तो अनेकानेक लोग बाधाएं उत्पन्न किया करते हैं । अब हमें चाहिए कि हनुमान जी की तरह उन बाधाओं को खत्म करके अपने लक्ष्य की तरफ कदम आगे बढ़ाएं ।
जीवन में आने वाले ऐसी बाधाओं से बिना घबराए उन बाधाओं से दो-दो हाथ करने के लिए तैयार रहना चाहिए।
जिस प्रकार से हनुमान जी महाराज ने जब देखा की सुरसा रूपी बांधा से बचने का क्या उपाय हो सकता है क्योंकि उनके पास समय भी कम था ।
यदि ज्यादा उलझते तो लक्ष्मण के प्राण बचाना मुश्किल था । ऐसे में उन्होंने बुद्धिमानी से काम लिया। सुरसा के अहंकार को बढ़ाते रहे। फिर अत्यंत विनम्र होकर अर्थात उसके मुख पास में जाकर निकल आए और अपने लक्ष्य की ओर बढ़ गए ।
हमें भी जीवन में जब भी ऐसे लक्ष्य की ओर बढ़ना हो तो जिसमें समय सीमा कम हो और कोई बाधा उत्पन्न करना चाहे तो उस समय बुद्धिमानी के साथ उससे अनावश्यक ना उलझते हुए उसकी महानता का बखान करते हुए विनम्र बनकर अपने लक्ष्य की ओर केंद्रित रहना चाहिए।
जीवन है तो बाधाएं तो आती जाती रहेंगी । बाधाओं से हम कब तक उलझते रहेंगे । बाधाओं से उलझना किसी समस्या का समाधान नहीं है। इसलिए हनुमान जी महाराज से शिक्षा लेते हुए बाधाओं को खत्म कर जीवन लक्ष्य की ओर बढ़ते जाना चाहिए।
अधिकांश लोगों को देखा गया है कि बाधाएं आने पर वह जीवन लक्ष्य को भूलने लगते हैं। बचपन में हम बड़े-बड़े ख्वाब पालते हैं कि ऐसा करेंगे, वैसा करेंगे लेकिन जब बाधाएं आती है तो वह निराश हो जाते है और धीरे-धीरे लक्ष्य आंखों से ओझल सा हो जाता है । जिन्होंने हनुमान जी की तरह बाधाओं को जीत लिया एक न एक दिन वे अपने लक्ष्य को प्राप्त कर ही लेते हैं।
मनुष्य को चाहिए कि वह कभी भी बाधाओं से घबराएं नहीं बल्कि उससे मुक्त होने का उपाय सोचें।
योगाचार्य धर्मचंद्र जी
नरई फूलपुर ( प्रयागराज )