जहां तुम वहां मैं | Jahan Tum Wahan Main
जहां तुम वहां मैं
( Jahan tum wahan main )
जहां तुम वहां मैं, मिल जाऊं दिलबर जानी।
तुम आवाज देके देखो, निभाऊं प्रीत पुरानी।
तुम प्रेम की हो सरिता, मेरे प्यार की निशानी।
तुम भावों की गूंथी माला, कोई गीत हो जुबानी।
शब्दों की अविरल धारा, कलकल बहता पानी।
सागर मिलन को सरिता, चली प्रेम की कहानी।
खुशबू हो तुम चमन की, मैं गजरा हूं महकता।
बहार हो तुम अमन की, मैं भंवरा हूं चहकता।
आंगन की पावन तुलसी, तुमसा न कोई सानी।
प्रियतम पुकारे आजा, ओ मेरे प्यार की दीवानी।
दिल की हो धड़कन, कविता की सुंदर लड़ियां
अधरों से झरने बरसे, गीतों की मधुर झड़ियां।
कुदरत भी झूम सी जाती, ओढ़े चुनरिया धानी
मुस्कुराता तुम्हारा चेहरा, तुम मेरे दिल की रानी।
कवि : रमाकांत सोनी
नवलगढ़ जिला झुंझुनू
( राजस्थान )