Hindi Poetry On Life -जीस्त तन्हाई की सहेली है!
जीस्त तन्हाई की सहेली है!
( Jeest Tanhai Ki Saheli Hai )
जीस्त तन्हाई की सहेली है!
कट रही जिंदगी अकेली है
नफ़रतों की बू कम नहीं होती
देखो फ़िर भी खिली चमेली है
जो सुलझती नहीं बातें दिल की
बन गयी वो उल्फ़त पहेली है
दोस्ती के टूटे है वो धागे
चाल उसनें ऐसी कल खेली है
कैसे आटा ख़रीदे महंगा अब
घर में रोठी नहीं इक बेली है
पेट बच्चों का वो भरे कैसे
तोड़ डाली मुफ़लिस की ठेली है
नफ़रतों के अंधेरे है आज़म
रोशनी प्यार की कब फ़ैली है