जीवन का लक्ष्य
जीवन का लक्ष्य
(कुछ प्रेरणादायक बातें जो मैं स्वयं से कहता हूँ..)
अपने लिए जीना सीखो कब तक औरों के लिए तुम ऐसे जीते रहोगे,
अपनी खुशी के लिए करना सीखो कब तक औरों को खुश करते रहोगे।
नापसंद को मना करना सीखो कब तक यूँ झिझक महसूस करते रहोगे,
जब तुम सच्चे हो अपने जीवन में कब तक फिर ऐसे अग्नि परीक्षा देते रहोगे।
जिसे जाना हैं वो जाएगा ही कब तक तुम उसे जाने से ऐसे रोकते रहोगे,
चला गया जो तुम्हें तन्हा छोड़कर कब तक उसके लिए यूँ आँसू बहाते रहोगे।
जो भूल तुमने की ही नहीं कब तक उसका ऐसे पश्चाताप करते रहोगे,
चलो उठो अपने लक्ष्य की तरफ बढ़ो कब तक ऐसे ही मातम मनाते रहोगे।
कवि : सुमित मानधना ‘गौरव’
सूरत ( गुजरात )
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