जीवन तरंगिणी : ( दिकु के प्रति प्रेम के भाव )
जीवन तरंगिणी
( Jeevan tarangini )
जीवन की इस तरंगिणी में, तेरे साथ बहता हूँ,
हर लहर में तेरा नाम लेकर मैं खुद को ढूंढता हूँ।
तेरे बिना भी दिल की धड़कनों में तू ही बसी रहती है,
बस एक तेरे वजूद से ही तो मेरी दुनिया चलती है।
हर ख्वाब में तेरे संग होने का एहसास पाता हूँ,
तेरी गैर-मौजूदगी में भी मेरी सांसों से तेरी ओर चला आता हूँ।
हर उथल-पुथल में भी बस तुझसे मिलने की आस पलती है,
बस एक तेरे वजूद से ही तो मेरी दुनिया चलती है।
विरह की रातों में भी तू मेरी रोशनी बनी रहती है,
तेरे साथ बिताए हर पल की गूंज अब भी मुझमें सजी रहती है।
तू मेरे हर दर्द की दवा, मेरी हर खुशी के हिस्से में तू मिलती है,
बस एक तेरे वजूद से ही तो मेरी दुनिया चलती है।
तेरी दूरी में भी, तेरी चाह मेरी धारा है,
तुझ से दूर होकर भी इस दिल को तेरी ही परवाह है।
मेरी धारा, मेरी मंजिल, मेरी हर दुआ तेरे लिए ही रहती है,
बस एक तेरे वजूद से ही तो मेरी दुनिया चलती है।
तेरी यादें अब भी मेरी धड़कनों का संगीत हैं,
तेरे बिना मेरी दुनिया में मेरा साया भी गमगीन है।
हर लहर में तेरा साथ होने की आशाएं पलती हैं,
बस एक तेरे वजूद से ही तो मेरी दुनिया चलती है
कवि : प्रेम ठक्कर “दिकुप्रेमी”
सुरत, गुजरात
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