Khushiyon ki chhaon
Khushiyon ki chhaon

खुशियाँ की छांव

( Khushiyon ki chhaon )

 

 

जीस्त से खुशियाँ की छांव ज़ख्मी रही
रोज़ ग़म की बहुत धूप आती रही

 

दुश्मनी पे उतर आया है आज वो
दोस्ती जिससे ही रोज़ गहरी रही

 

देखा है रोज़ जिसको वफ़ा की नज़र
गैर आँखें मुझसे रोज़ करती रही

 

साथ देती नहीं काम करता हूँ मैं
जिंदगी से क़िस्तम रोज़ रूठी रही

 

तोड़ती ही रही है दिखाकर सपने
रोज़ क़िस्तम भी क्या रंग लाती रही

 

उसकी बू नें घेरा है दग़ा की आकर
 प्यार की सांसों से ख़ुशबू टूटी रही

 

मुझसे हर बात में तल्ख़ करता बातें
दोस्ती उससे नहीं यार अच्छी रही

 

बढ़ गयी है “आज़म” दूरियां  प्यार में
दोनों में  ही किसकी यार ग़लती रही

❣️

शायर: आज़म नैय्यर

(सहारनपुर )

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