जिंदगी का सफर मुश्किलों से ढ़ला
जिंदगी का सफर मुश्किलों से ढ़ला
जिंदगी का सफर मुश्किलों से ढ़ला।
मंजिलें पा गया सोचकर जो चला।।
दोष क्या दें भला हम किसी और को।
हर कदम पर यहां जिंदगी ने छला।।
दुःख-सुख को सदा थाम कर दिल सहा।
चाह कुछ भी नहीं ना लबों पे गिला।।
फूंक कर ही सदा था रखा कदम।
क्यूं चलेगा ना जो आँधियों में पला।।
काम हमने किया साफ दिल से “कुमार”।
ये ना सोचा कभी क्या बुरा क्या भला।।