जिंदगी में कुछ पल मेरी ठहरी ख़ुशी
जिंदगी में कुछ पल मेरी ठहरी ख़ुशी
जिंदगी में कुछ पल मेरी ठहरी ख़ुशी
कर गया है ग़म मेरी हर जख़्मी ख़ुशी !
दिन उदासी भरे फ़िर गुजरते नहीं
जिंदगी से नहीं दूर होती ख़ुशी
कोई हँसता कोई रोता है जहां में
हर किसी को नहीं दोस्त मिलती ख़ुशी
पर मिली ही नहीं है किसी दर से भी
शहर की हर गली रोज़ ढूंढ़ी ख़ुशी
लौटकर आयी नहीं है दुबारा कभी
जिंदगी से ऐसी मेरे रुठी ख़ुशी
जिंदगी में ठहर जाये बनके वफ़ा
चाहता है आज़म रब अब ऐसी ख़ुशी