महात्मा ज्योतिबा फुले | Jyotiba Phule par Kavita
महात्मा ज्योतिबा फुले
( Mahatma Jyotiba Phule )
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शिक्षा की मशाल जलाए महात्मा फुले,
सुख-समृद्धि की राह दिखाए महात्मा फुले।
सत्य शोधक समाज का वो किए तब गठन,
क्रान्तिकारी विचार भी लाए महात्मा फुले।
संत कबीर, संत तुकाराम से थे वो प्रभावित,
गुर्बत में फूल खिलाए महात्मा फुले।
महिलाओं को दिलाये शिक्षा का अधिकार,
बाल-विवाह रुकवाने में आगे आए महात्मा फुले।
अंधश्रद्धा के उस जाल से दिलानी थी मुक्ति,
स्त्री -पुरुष भेद मिटाये महात्मा फुले।
सावित्रीबाई फुले को वो शिक्षिका बनाये,
शिक्षा का गहना पहनाए महात्मा फुले।
प्रथम दलित शिक्षिका का गौरव मिला पत्नी को,
सती प्रथा के विरोध में उतर आए महात्मा फुले।
शिक्षा के सरोवर में न जाने नहाए कितने,
मानवता का पाठ पढ़ाये महात्मा फुले।
जितनी की जाए प्रशंसा उनकी उतनी कम है,
पिछडों का मान बढ़ाए महात्मा फुले।
धन्य है वो कोख जिसने जन्म दिया फुले को,
कितनी रूढ़ियां मिटाये महात्मा फुले।
लेखक : रामकेश एम. यादव , मुंबई
( रॉयल्टी प्राप्त कवि व लेखक )
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भारत-वर्ष के महान व्यक्तियों में इन्हें गिना जाता,
दलितों-मजदूरों किसानों का हितैषी कहा जाता।
मां का नाम चिमनबाई और गोविन्दराव जी पिता,
ढ़ेर किए भलाई कार्य इसलिए याद किया जाता।।
महात्मा ज्योतिराव गोविन्दराव फुले था पूरा नाम,
१८४० में हो गयी थी शादी सावित्रीबाई था नाम।
गजरा व फूल माला बनानें का करते थें वह काम,
जिससे उनको पहचान मिली व फुले का यें नाम।।
उनकी एक वर्ष आयु में हो गया मां का स्वर्गवास,
पालन-पोषण हेतु लगाया सुगनाबाई इनके पास।
महात्मा उपाधि व ढ़ेर प्रतिभाओं के धनी थें आप,
छोटी जाति और महिला शिक्षा के किये विकास।।
एक मित्र की शादी से जिनको ऐसी प्रेरणा मिली,
जहां शुद्र व निचले वर्ण कहकर बेइज्जती मिली।
तब समाज से बुराई भेदभाव दूर करने की ठानी,
एवं १८४८ में स्त्री शिक्षा हेतु प्रथम स्कूल खोली।।
सत्यशोधक समाज की आपने ही यें स्थापना की,
१८७३ में आपने गुलामगिरी यें पुस्तक लिख दी।
अछुतों को न्याय दिलाने हेतु कई आंदोलन किये,
२८ नवम्बर १८९० को आपने यह सांस छोड़ दी।।