Maa Kalratri
Maa Kalratri

मां कालरात्रि

( Maa Kalratri )

 

नवदुर्गा का सप्तम रूप कालरात्रि है बड़ी महान,
इस रूप में रक्तबीज वध को माता की प्रस्थान।

जिस दैत्य को मारना था असंभव वो भी हुआ आसान,
खड्ग से शीश काट मईया ने किया उसका रक्तपान।

रक्तबीज वध करके मईया ने देवताओं को तार दिया,
पापी और दुष्टों का होता ही है अंत ये जग को बता दिया।

कालरात्रि रूप में मईया चतुर्भुजी स्वरूप में आती,
एक ओर अस्त्र शस्त्र धरती दूजी ओर वर मुद्रा भी लाती।

गर्दभ वाहन में सवार हो मईया कालरात्रि हैं आती,
भक्त जनों को निर्भय करती दुष्टों के लिए मृत्यु बन जाती।

इस देवी की पूजा से भक्त अकाल मृत्यु से बच जाते,
नवरात्रि पूजन से कामना पूर्ति का शुभ फल हैं पाते।

 

रचनाकार –मुकेश कुमार सोनकर “सोनकर जी”
रायपुर, ( छत्तीसगढ़ )

यह भी पढ़ें :-

मां स्कंदमाता | Maa Skandamata

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here