Sapne mein Kanha
Sapne mein Kanha

रात सपने में आया कान्हा

( Raat sapne mein aaya kanha ) 

 

मोहन माधव कान्हा प्यारा, आया स्वप्न में मुरलीहारा।
चक्र सुदर्शन धारी गिरधर, रूप चतुर्भुज सुंदर सारा।
मोहन माधव कान्हा प्यारा

पीतांबर धारी बनवारी, सर पे सोहे मोर मुकुट भारी।
अधरो पर मुरलिया धारी, जय गोविंदा जय गिरधारी।
उठो आज कोई गीत सुना दो, आने दो भावों की धारा।
आया द्वारका नाथ सांवरा, सारे जग का है तारनहारा।
मोहन माधव कान्हा प्यारा

बोले पार करूं क्या नैया, महका दूं ये जीवन सारा।
किस्मत के खोल दूं ताले, मैं दुनिया का हूं रखवारा।
मेरी मुरली जब भी बाजे, झूमे वृंदावन गोकुल सारा।
आज भगत तेरी सुध लेने, आया भव का सृजनहारा।
मोहन माधव कान्हा प्यारा

आओ भगवन शीश नवाऊं, मन मंदिर में दीप जलाऊं।
तेरा ध्यान धरूं मैं निशदिन, यह सौभाग्य सदा मैं पाऊं।
रोम रोम में बसने वाले, हे मदन मुरारी सांवरिया प्यारा।
कृष्ण कन्हैया कान्हा गिरधारी, तू जग का पालनहारा।
मोहन माधव कान्हा प्यारा

 

कवि : रमाकांत सोनी

नवलगढ़ जिला झुंझुनू

( राजस्थान )

यह भी पढ़ें :-

काफिले में भी सफर तन्हा | Safar Tanha

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here