Aaj aur Kal
Aaj aur Kal

अतीत आज और कल

( Ateet aaj aur kal ) 

 

अतीत आज और कल, बंदे संभल संभल कर चल।
परिवर्तन कुदरत का नियम, जन मन रहती हलचल।

कितना सुंदर अतीत हमारा, संस्कारों की बहे धारा।
शौर्य स्वाभिमान पराक्रम, गौरवशाली है देश हमारा।

बदल गया परिवेश आज, बदल गई है जीवनधारा।
धीर धर्म दया सब भूले, खो गया अपनापन प्यारा।

अपना उल्लू सीधा करते, बस मतलब को ही जाने।
टूट गई रिश्तो की डोरी, अपनों में ही हम हुए बेगाने।

ना जाने कल कैसा होगा, कैसी होगी वो नव प्रभात।
चमन कहीं उजड़ ना जाए, कर लो सद्भावों की बात।

चेतना की जोत जला, संस्कारों को जरा बचा लो।
भविष्य भंवर में अटका, जागो देश के नौनिहालों।

 

कवि : रमाकांत सोनी

नवलगढ़ जिला झुंझुनू

( राजस्थान )

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