![kabhi chehre कभी चहरे पे मत रीझौ दिलों से लोग काले है](https://thesahitya.com/wp-content/uploads/2020/11/kabhi-chehre-696x435.jpg)
कभी चेहरे पे मत रीझौ दिलों से लोग काले है
कभी चेहरे पे मत रीझौ दिलों से लोग काले है।
समझ लो ठीक से सारे यहां जो भोले-भाले है।।
सभी का बात करने का बता देता हमें लहजा।
बङे मगरूर रहते हैं यहां जो हुस्न वाले है।।
बहक पाते कदम तब ही जिसे भी मय पिला दोगे।
सदा मदहोश जो पीते नज़र की मय के प्याले है।।
नहीं मरहम लगा पाते करे ईलाज भी कैसे।
दिखाई वो नहीं देते पड़े दिल पे जो छाले है।।
बदल लेते है रँग अपना अगर मौका मिले उनको।
कभी तो साफ कर देखो दिलों के जो भी जाले है।।
न कोई बात सुनता है न कुछ भी बोलता कोई।
ग़लत होता दिखे लेकिन जुबां पे सबकी ताले है।।
बुरे रहते सुखी जग में भले दुख भोगते देखे।
खुदा के खेल तो देखो “कुमार” जग से निराले है।।
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