कभी उस शहर कभी इस शहर | kabhi us shahar kabhi is shahar
कभी उस शहर कभी इस शहर
( Kabhi us shahar kabhi is shahar )
कभी उस शहर
कभी इस शहर
गरजते, बरसते
आखिर
कुछ बादल
मेरे शहर भी
आकर छा ही गये
कुछ देर ही सही
गरज कर
बरस भी गये
हवा कि
चलो
कुछ तल्खी
कम हुई
खुश्की नम हुई
मौसम के
बिगड़े अंदाज़ की
अकड़ नरम हुई
क्या हुआ
‘गर पहले
आँधियाँ चली
धूल उड़ी
मिट्टियों ने
बसेरों को
चेहरों को
मटैला
कर दिया
तेरी मेरी
आँखों में तो
पहलेे ही
कौन सा
रड़क
कम थी
कुछ बूंदे
जो
बरस गई
चलो
अच्छा है
कि
सीने की
जलन कम हुई..
लेखिका :- Suneet Sood Grover
अमृतसर ( पंजाब )