कड़वी बातें | Poem kadvi baatein
कड़वी बातें
( Kadvi baatein )
इंसान की पेहचान
संपति से कहा होय।
जो करे समाज सेवा
उसकी जगह स्वर्ग में होय।
जो मेहनत करके कमाए
वो सान से जी पाए।
बुरे काम करके पैसा कमाने वाले
निचे नज़र जुकाके चलता जाए
जगत जाने उसे जिसके
पास माँ बाप होय।
उसे कौन जाने जिसको
केवल पैसे की परवा होय।
गुप्त दान करने वाले
भगवान की दृष्टि में महान होय।
जो बड़ी बड़ी रसीदे कटाए
वो केवल अपना धन खोय।
अपने रहस्य अपने तक रखों,
क्योंकि आजकल दीवारों के भी कान हैं।
कभी मत किसी की भावनाओं से
खिलवाड़ मत करना उनमें भी जान हैं।
शरीर वही, जिस्म वही
फिर किस बात पर गुमान हैं।
मंदिर, मस्जिद एक ही ईट से बने
फिर किस चीज का अभिमान हैं।
जैसे मृग ढूँढ़ रही कस्तूरी यहाँ वहाँ,
पर वो अपने से नादान हैं।
वैसे ही भगवान आसपास ,
बस इंसान इस से अंजान हैं।
❣️
लेखक : दिनेश कुमावत