
भ्रष्टाचार और दुराचार
( Bhrashtachar aur durachar )
कष्ट भरी जिंदगी में
केवल भरा भ्रष्टाचार हैं
भ्रष्टाचारी लोगो के सामने
आज भगवान भी लाचार है
किसी के मन में
अब न स्नेह औरप्यार हैं
और न किसी के ह्दय में
नाहि सतगुण वाला सदाचार है
लेकिन दुनिया को कहाँ पता
प्रेम और शांति ही जीवन का आधार है
और जिसने कठिन परिश्रम किया
उनके लिए खुला स्वर्ग का द्वार है
धैर्य रखने वालो के सामने
मोह माया भी लाचार है और
सदाचार के रास्ते में
दुश्मन बन खडा दुराचार है
❣️
लेखक : दिनेश कुमावत