कहीं ग़म कहीं पे ख़ुशी है
कहीं ग़म कहीं पे ख़ुशी है
कहीं ग़म कहीं पे ख़ुशी है!
कहीं पे हंसी तो नमी है
कोई जीवन अच्छा गुजारे
कहीं ग़म भरी जिंदगी है
मुहब्बत को कोई निभाये
कहीं दिल में ही बेरुख़ी है
कोई रिश्ता दिल से निभाता
कहीं हर घड़ी बेदिली है
कहीं पे मातम है नगर में
कहीं पे सजी हर गली है
जिसे दोस्त माना है आज़म
वही कर गया दुश्मनी है