याद करते थे भुलाने में लगे
याद करते थे भुलाने में लगे

याद करते थे भुलाने में लगे

 

 

याद करते थे भुलाने में लगे!

वो पराया अब बनाने में लगे

 

सच बताकर वो ही सबसे झूठ को

दाग दामन से मिटाने में लगे

 

दोष क्या दूँ मैं औरो को देखिए

घर मेरा अपनें ही जलाने में लगे

 

दिल दुखाकर वो वफ़ा में रोज़ अब

वो मुझे हर पल रुलाने में लगे

 

तोड़ने में वो लगे आज़म रिश्ता

और हम रिश्ता निभाने में लगे

 

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शायर: आज़म नैय्यर

(सहारनपुर )

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