
युद्ध छीनता निवाला!
( Yuddh chinnta nivala )
अभी युद्ध चल रहा है
जाने कौन किसको छल रहा है?
जलने दो अभी
मरने दो मासूमों को….
रहो मौन!
देखो पहले,
किधर खड़ा है कौन?
नाप तौल कर बोलेंगे
दुश्मनी किसी से थोड़ी न मोलेंगे!
अपना कुछ जल नहीं रहा है?
सुदूर यूक्रेन फिलिस्तीन में न आग लगी है
बड़ी बड़ी संस्थाएं है न सुलझाने को…
रूस इस्राइल से पंगा कौन लेगा?
इसी ऊहा पोह में फंसी है दुनिया
जाएं तो जाएं किधर?
मर रही इंसानियत, तो मरे..
लफड़े में कौन पड़े?
इसलिए पांव पसार रहा है अहंकार।
गिर रहा दुनिया भर का शेयर बाजार
महंगाई तो बढ़ेगी चहुंओर
इकाॅनामी होगी खस्ता
महंगा होगा, राशन सस्ता
निवाला गरीबों का होगा दूर
लेकिन नहीं समझेंगे मगरूर!
लेखक–मो.मंजूर आलम उर्फ नवाब मंजूर
सलेमपुर, छपरा, बिहार ।