ज़िंदगी की रेस

( Zindagi ki race ) 

 

ज़िंदगी की रेस बहुत लंबी है,
कभी धूप कभी छांव है,
कभी फूलों भरी राह,
तो कभी कांटों भरी राह में भी नंगे पांव है,
कभी आज़ाद परिंदे सा,
तो कभी हर तरफ़ बेड़ियां है,
कभी हर तरफ़ खुशियों का सवेरा,
तो कभी खुद से खुद की ही लड़ाइयां है,
कभी रूकावटे हजार मंजिल पाने में,
तो कभी हर तरफ बस कामयाबी की सीढ़ियां है,
कभी हार जाओगे अपनो से,
तो कभी बस तुम्हारी ही जयकार है,
मत सोच कब हारे,कब जीते,
क्या खोया, क्या पाया है,
ध्यान दो लक्ष्य पर अपने
और देखो तुमने मार्ग कौनसा अपनाया है।।

 

रचनाकार : योगेश किराड़ू
बीकानेर ( राजस्थान )

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