बरसे न सवनवा | Barase na savanava | Kajri geet
बरसे न सवनवा
( Barase na savanava )
बहे जोर-जोर पुरवा बस पवनवा
सखी बरसे न सवनवा ना ….2
जब से बरखा ऋतु है आई
बदरी नभ में ना दिखाई। 2
आग बरस रहा धरती पर गगनवा ना…..
सखी बरसे ०……
नदी नार सब है सूखे
पेड़ रुख अब तक रूखे । 2
झूर झुर लगे खेत और सिवनवा ना….
सखी बरसे०…..
कईसे धान अब रोपाई
बेहन खेते में झूराई । 2
देखें रोज-रोज बदरी किसनवा ना….
सखी बरसे०
बरसे सावन नाही पानी
कईसे होए अब किसानी। 2
कैसे मिले तब खाए के राशनवा ना…..
सखी बरसे०
पत्नी रोज पति से बोले
कंठ पपीहा नाहीं खोले। 2
सुखा पड़िगा लागता सजनवा ना ….
सखी बरसे ना सवनवा ना..