कलह ( हाइकु )
कलह ( हाइकु )
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१)
कलह करे
घर संकट भरे-
बेमौत मरे ।
२)
कलह कांटा
जिस आंगन उगे-
नाश ही करे।
३)
कलह विष
नहीं हों आवेशित-
घर दूषित।
४)
कलह बुरा
परिवार बिखरे-
नहीं निखरे।
५)
सुलह हल
कलह है गरल-
संकट प्राण।
६)
कलह बांटे
छिन्न भिन्न संबंधी-
विकास रूके।
७)
बढ़े तनाव
बीमारी बढ़ जाए-
कलह देन।
लेखक-मो.मंजूर आलम उर्फ नवाब मंजूर
सलेमपुर, छपरा, बिहार ।
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