कनक | Kanak Hindi kavita
“कनक”
( Kanak )
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–>कनक कनक पर कौन सा…..
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1.एक कनक मे मादकता, एक मे होए अमीरी |
एक कनक मे मद चढे, एक मे जाए गरीबी |
नाम कनक के एक हैं, अर्थ द्वि-भाषी होता |
एक कनक धतूरा होता, दूजा सोना होता |
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–>कनक कनक पर कौन सा…..
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2.एक कनक के नशे मे, दुनिया पागल होती |
एक कनक की चमक से, घर में खुशियां होती |
एक कनक जो मद होता, खाते चक्कर आते |
एक कनक होता सोना, दुश्मन भी घर आते |
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–>कनक कनक पर कौन सा…..
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3.कनक बनो तो सोने जैसा, सब की हो अभिलाषा |
मत बनो कनक धतूरे वाला, न रखे कोई अभिलाषा |
चमको चम-चम सोने जैसा, दूर से ही जाने जाओ |
कनक कटीला मत बानो, जो दूर से ही फेंके जाओ |
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–>कनक कनक पर कौन सा…..
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4.चमक कनक की लालसा, काश कनक सा हो जाऊँ |
कनक नशे को देख कर, दूर कनक से कहाँ जाऊँ |
है चमक नशे मे भिन्नता, पर नाम कनक से जानते |
छोड़ कनक,कनक सा चमकूँ, रब से दुआ ये मांगते |
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–>कनक कनक पर कौन सा…..
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कवि : सुदीश भारतवासी