sad shayari -कर गया दुश्मनी की वो ही बात है
कर गया दुश्मनी की वो ही बात है
( Kar Gaya Dushmani Ki Wo Hi Baat Hai )
कर गया दुश्मनी की वो ही बात है
दोस्ती की करी जिससें शुरुवात है
प्यार मेरा नहीं है किया हाँ क़बूल
दिल के उसनें नहीं समझें जज्बात है
नफ़रतों की ही बरसात होती यहां
कब गुलों की मुहब्बत की बरसात है
शहर से लौटा उसके निराशा लेकर
कब करी कल उसी ने मुलाक़ात है
ढ़ल गयी है ख़ुशी की चांदनी ही मेरी
ग़म भरी जिंदगी में मेरी रात है
प्यार में मैं लुटा हूँ किसी के ऐसा
दर्द भरे अब यहां दिल में नग्मात है