Kavi Satya Bolta hai
Kavi Satya Bolta hai

कवि सत्य बोलता है

( Kavi satya bolta hai )

 

हर बात वो क़लम से लिख देता है,
और सभी तक फिर पहुँचा देता है।
क़लम ही है कलमकार की ताकत,
बेबसी व लाचारी भी लिख देता है।।

लिख देता वो कविता और कहानी,
सोच-समझकर सुना देता ज़ुबानी।
हर एक शब्द का करके माप-दण्ड,
कवि की ज़ुबानी सत्य की कहानी।।

कल्पनाओं का भी भण्डार है कवि,
सोए हृदय को भी जगा देता कवि।
नक़ाब दूसरे चेहरों का हटा देता है,
लिखता व सत्यता दर्शाता ये कवि।।

सत्य ही बोलता एवं सत्य लिखता,
मातृ-भाषा हिन्दी राष्ट्र को जगाता।
हंसना हंसाना इनमें ये भी है कला,
बुझते चिरागों की बाती बन जाता।।

 

रचनाकार : गणपत लाल उदय
अजमेर ( राजस्थान )

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