
ज़िंदगी पढ़ा देती पाठ
( Zindagi padha deti path )
जिनके दिलों में नही होती गांठ,
उनके होता सदा घर में ही ठाठ,
जिनके दिलों में होती है ये गांठ,
उन्हें ज़िंदगी पढा़ देती यह पाठ।।
इसलिए तो में कहता हूं भाईयो,
ना रखो दिल में गांठ और आंट।
ये बोल-बुलाई जाऐगी तेरे साथ,
इतने में ही उम्र हो जाऐगी साठ।।
जितना हो उतना ही काम करों,
फालतू झमेले में कोई मत पड़ो।
स्वास्थ्य का रखें सदैव ही ध्यान,
कोई भी ना लेगा तुम्हारा स्थान।।
इस जीवन का सब मोल समझें,
अनमोल क्या है ये सभी समझे।
किसी के बहकावे में नही आये,
अपने इस दिमाग से सभी सोचे।।
कैसे समझाऊं ये थक गऐ हाथ,
लिख दी रचनाएं पंद्रह सो साठ।
पढ़ो चाहे ना पढ़ो पड़े रहो खाट,
दुःख और सुख ये सब लो बांट।।
मत करो कोई ज्यादा हाय माया,
जन्म हुआ वो किस्मत है लाया।
मैं रचनाकार ये समझाता हूं भाई,
जाना होगा तब खाली हाथ जाई।।
रचनाकार : गणपत लाल उदय
अजमेर ( राजस्थान )