आदर्श आचार संहिता | Kavita Adarsh Aachar Sanhita
आदर्श आचार संहिता
( Adarsh Aachar Sanhita )
सबको रोकेगी,
सब पर कानून लगायेगी।
देश में चुनावी दंगल से पहले,
आचार संहिता लग जायेगी।
सबको पाबंद करेगी,
सबको यह समझायेगी-
उद्दण्ड़ करोगे; तो पछताओगे,
आयोग के अधिकारों की डंड़ी,
गलती करने वाले पर
आचार संहिता का डंड़ा चलायेगी।
उल्लंघन की गलती,
इतनी भारी पड़ेगी,
देखे, जीत के सारे सपने,
मतगणना के निर्णय से पहले,
निष्कासित होकर,
कोरे सपनें ही रह जायेंगे।
वादों की गट्ठरी लेकर,
बड़े प्यार से वोट माँगने,
नेता सारे…
जनता के जन-प्रतिनिधि बनकर,
घर-घर आयेंगे और जायेंगे।
हाथ जोड़कर विनती करेंगे,
धमकी-लालच देकर,
न वोट का सौदा करेंगे ?
न किसी वोटर को डरायेंगे ?
दुनिया का सबसे बड़ा चुनावी दंगल,
दुनिया की नज़रों में होगा;
धूम मचेगी,
धूमधाम का उत्सव-सा मेला रहेगा।
सब पर नियंत्रण रखकर,
सबको नियत करता,
आचार संहिता के नियमों का,
कुछ दिन शासन-राज़ चलेगा।
जब तक यह लागू रहेगा,
न कोई घूस मिलेगी ?
न कोई मयख़ाना,
वोटों को क्रय करता मिलेगा ?
सत्ता के सत्ताधारी,
बस, इतना समझ-बुझ लें-
कोई सरकारी साधन-संसाधन,
किसी प्रचार-प्रसार में,
अपने हक-अधिकारों में ना लें।
मतदान की जीत-हार तक,
सब निष्पक्ष बने, निष्पक्ष चले,
निष्पक्ष चुनावों का आयोजन,
आचार संहिता के नियमों में होने दें।
अपने मत की ताकत समझे,
अपने बुद्धिबल से सब वोट करें।
मतदानों में बढ़-चढ़कर हिस्सा लें,
आचार संहिता के लगने पर,
उसके नियमों का पूरा पालन करें।
अनिल कुमार केसरी,
भारतीय राजस्थानी