आजादी के दीवाने | Kavita Azadi Ke Deewane
आजादी के दीवाने
( Azadi Ke Deewane )
हिम्मत बुलंद अपनी, पत्थर सी जान रखते हैं।
दिल में बसाए हम, प्यारा हिंदुस्तान रखते हैं।
क्या आंख दिखाएगा कोई, हमवतन परस्तों को।
हम सर पे कफन हथेली पे, अपनी जान रखते हैं।
हम दिल में बसाए प्यारा हिंदुस्तान रखते हैं
रख हिमालय सा हौसला, सागर सी गहराई है।
क्रांतिकाल में वीरों ने, प्राणों की भेंट चढ़ाई है।
हंसते-हंसते झूल गए वो, क्रांतिवीर कमाल हुए।
राजगुरु सुखदेव भगत, भारती के लाल रखते हैं
हम दिल में बसाए प्यारा हिंदुस्तान रखते हैं
आजादी के दीवाने थे, गोला बारूदों में चलते थे।
देशप्रेम मतवाले वीर, आंधी तूफानों में पलते थे।
अंग्रेजी हुकूमत की जिसने, सारी जड़े हिलाई थी।
राष्ट्रप्रेम घर घर में, देशभक्ति की सौगात रखते हैं
हम दिल में बसाए प्यारा हिंदुस्तान रखते हैं
तूफानों से टक्कर लेते, जोश रगों में भर भरपूर।
हर मंसूबे दुश्मनों के, पल में करते चकनाचूर।
क्रांतिवीर मतवाले झूमे, फांसी के फंदे चूम गए।
अमर सपूत भारती रणवीर हम फौलाद रखते हैं
हम दिल में बसाए प्यारा हिंदुस्तान रखते हैं
रचनाकार : रमाकांत सोनी सुदर्शन
नवलगढ़ जिला झुंझुनू
( राजस्थान )
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