Geet Prem Dhun Lagi Re
Geet Prem Dhun Lagi Re

प्रेम धुन लागी रे

( Prem dhun lagi re ) 

 

कृष्ण कन्हैया मोहन प्यारे, मीरा तेरे दर आगी रे।
तेरे भजन में झूमे गाए, प्रेम धुन लागी रे।

नटखट बंसी वाला माधव, प्रेम रस का प्याला।
रुनक झुनक बाजे पैजनिया, ठुमक ठुमक नंदलाला।
नरसी का सांवरिया सुन ले, मीरा हो गई बड़भागी रे।
जोगन हो गई ले इकतारा, प्रेम धुन लागी रे।

राधे राधे मोहन मोहन, सारे जग के सुन करतार।
दीनदयाला कृपा सिंधु, सारे जग के तारणहार।

मन मंदिर में मूरत तेरी, भक्ति भावना जागी रे।
हे गिरधर प्यारे मनमोहन, प्रेम धुन लागी रे।

तू गोविंदा तू गोपाला, सकल चराचर प्रतिपाला।
भक्तों का तू ही रखवाला, झूम-झूम गाती ब्रजबाला।
तेरी शरण आसरा तेरा, तुझ संग प्रीत लागी रे।
मदन मोहन सुन बनवारी, प्रेम धुन लागी रे।

 

रचनाकार : रमाकांत सोनी सुदर्शन

नवलगढ़ जिला झुंझुनू

( राजस्थान )

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