बचपन लौटा दो | Kavita Bachpan lauta do
बचपन लौटा दो
( Bachpan lauta do )
मुझे मेरा
बचपन
लौटा दो,
बालपन
का पौधा
महका दो,
आंगन की
किलकारियां
गुनगुना दो,
दादी की
पराती
सुना दो,
मां का
आंचल
ओढ़ा दो,
पापा के
खिलौने
ला दो,
बैग का
बोझ
घटा दो,
कागज
का नाव
तैरा दो,
कान्वेंट से
गुरुकुल
पहुंचा दो ।
एकलव्य
आरुणी सा
शिष्य बना दो ।
शेखर कुमार श्रीवास्तव
दरभंगा( बिहार)
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