Poem on Banaras
Poem on Banaras

बनारस

( Banaras )

 

कण कण में हैं शंकर जिसके ,
और मिट्टी है पारस !
तीन लोक से न्यारी नगरी ,
जिसका नाम बनारस !!

आबोहवा यहां का अनुपम,
फिजा में बसती मस्ती !
मोक्ष धाम है महादेव का ,
मानवता की बस्ती !!

स्नेह समन्वय सदाचार संग,
बहती ज्ञान की गंगा!
सुख समृद्धि,शान्ति,शौर्य का,
लहरे सदा तिरंगा!!

तप त्याग तपस्या धर्म ध्यान ,
की ये अनुपम वेणी!
गायन वादन नृत्य विहंगम-
की बहती सदा त्रिवेणी!!

जिज्ञासु जन गण मन आकर,
निहाल हो जाते!
रसराज बनारस का चहुंदिश,
रस बरसाते!!

कमलेश विष्णु सिंह “जिज्ञासु”

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