![चाभी चाभी](https://thesahitya.com/wp-content/uploads/2024/06/चाभी-696x463.jpg)
चाभी
( Chabhi )
कौन कहता है ताले नहीं खुलते
केन कहता है रास्ते नहीं मिलते
चाभी खोजकर तो ज़रा देखिये
तहखाने मे उतरकर तो देखिये
हर चीज है मुहैया आपकी खातिर
हर ताज के सिक्के बरामद होंगे
कौन सी राजशाही चाहिए आपको
आपके पुरे हर मुराद होंगे
कम नहीं कुदरत के खजाने में
आपको हि बख्शी है जमाने में
मिलता है कर्म के हाथों से हि
लिखी है तारीख हर फसाने मे
समझे नहीं फर्क प्यार और प्रेम मे
खाये धोख़ा तो कहे की बेवफाई
बिका जमीर जब साबित हुआ आपका
तो देने लगे तर्कों की सफाई
बीज और जमीं हि नहीं सिंचाई भी चाहिए
फसल तो होगी हि दिखाई भी चाहिए
लुटेरों की संगत में लूट हि पाओगे तुम
टूटे हुए की संग मे टूट हि पाओगे तुम
( मुंबई )
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