Hanuman ji kavita
Hanuman ji kavita

राम दूत हनुमान

( Ram doot hanuman ) 

 

शंकर भोलेनाथ के आप ग्यारवें रूद्र अवतार,

मंगलवार व शनिवार ये दोनों है आपके वार।

जो नर-नारी श्रृद्धा से यह लेता आपका नाम,

बन जातें है बिगडे़ हुऐ उसके सारे वह काम।।

 

माता अंजनी के पुत्र और श्रीराम प्रभु के दूत,

बचपन में सूरज को निगलें ना आया यें धूप।

आपसे मंगल होता है कभी अमंगल न होता,

संकटमोचन भी आप है पवन देव के है रुप।।

 

कभी बना लेते बजरंगी पहाड़ जैसा यह रुप,

कभी-कभी बन जातें हो सूक्ष्म चींटी स्वरुप।

महिमा है अपरंपार भवसागर भी किया पार,

निर्मल बुद्धि विवेक बल था आपमें भरमार।।

 

केसरी नंदन मारुति नंदन रामदूत व हनुमान,

गदा हाथ लेकर दानव को पहुंचाए श्मशान।

अंतर्मन से ध्यान करें ‌तो नज़र आते ‌हनुमान,

परचम आपका लहर रहा अनेंक है निशान।।

 

सीना फाड़कर दिखलाया आपने सीता-राम,

लंका जलाएं संजीवन लाएं ऐसे किऐ काम।

छुपा नही कोई रहस्य चाहे आकाश-पाताल,

जाप व सुमिरन करतें शाम-सुबह राम नाम।।

 

 

रचनाकार : गणपत लाल उदय
अजमेर ( राजस्थान )

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